जीएसटी क्या है? GST in Hindi | फुल फॉर्म, अर्थ और फायदे

GST पूरा नाम है Goods and Services Tax. हिंदी में इसे “बस्तुएं और सेवा कर” बोलते हैं. भारत में जो पुराने कर के तरीके थे उन सब को बदल के भारत में एक ही कर लागु होगा उसी का नाम है GST 




भारत की आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार को ध्यान में रखते हुए, GST जुलाई 2017, से लागू हुआ है। यह उन इन-डायरेक्ट टैक्स के एवज़ में बनाया गया है जो उत्पादों और सेवाओं पर लगते थे। GST, उन सभी इन-डायरेक्ट के बदले लागू होगा जिन्हें राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए जाता था। वर्तमान में वस्तुओं और सेवाओं पर 0%, 5%, 12%, 18% या 28% की दरों के अनुसार, GST लगाया जाता है, जबकि कुछ अन्य वस्तुओं/ सेवाओं को इस से छूट दी गई है।

Goods and Services Tax से क्या- क्या फायदे (Benefits) है ? 

1. वस्तु एवं सेवा कर आने से पुराने अप्रत्यक्ष करों (indirect taxes) जैसे वैट, सी अस टी , सेवा कर, एक्साइज ड्यूटी आदि करो को हटा दिया गया हैं |

2.वस्तु एवं सेवा कर आने से कर संरचना (Tax framework) बहुत ही आसान और सरल हो गई हैं |

3.वस्तु एवं सेवा कर ने करों के कैस्केडिंग प्रभाव (Cascading effect) को समाप्त कर दिया हैं अर्थात् कर पर कर (tax on tax) को हटा दिया  है।

4.वस्तु एवं सेवा कर के आने से करो का बोझ कम हुआ जिससे  निर्माण लागत में कमी आ गई एवं उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की संभावना बढ़ गई

5.वस्तु एवं सेवा कर के आने से आम आदमी पर बोझ कम होगा यानी जनता (Consumer) को उन्हीं उत्पादों को खरीदने के लिए कम पैसा देना पड़ेगा जो पहले महंगे हुआ करते  थे |

6.वस्तु एवं सेवा कर के आने से वस्तुओं की मांग (Demand) और उपभोग (Consumption) में वृद्धि हो गई |

7.वस्तु एवं सेवा कर से सरकारी खजाना (Government Treasury)बढ़ गया हैं |

8.वस्तु एवं सेवा कर  के आने से सिंगल विंडो क्लीयरेंस (Single Window Clearance) या एक ही स्थान पर निकासी को बढ़ावा मिला हैं|

चार नामों से वसूला जाता है जीएसटी | 4 types Of GST 

जीएसटी वैसे तो एक ही टैक्स होता है, लेकिन, इसे चार अलग-अलग नामों से लिया जाता है-

1. CGST: (सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | Central Goods and Service Tax) 
अगर कोई सौदा (लेन-देन) एक ही राज्य के दो पक्षों (कारोबारियों) के बीच हो रहा हो तो केंद्र सरकार के हिस्से के रूप में CGST को चुकाना पड़ता है।

2.SGST: स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | State Goods and Service Tax
अगर कोई सौदा (लेन-देन) एक ही राज्य के दो पक्षों (कारोबारियों) के बीच हो रहा हो तो, उस राज्य सरकार के हिस्से के रूप में SGST चुकाना पड़ता है।

3.UTGST/UGST: यूनियन टेरेटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | Union Territory Goods and Service Tax 
अगर कोई सौदा (लेन-देन), किसी केंद्र शासित राज्य (UT) के दो पक्षों (कारोबारियों) के बीच हो रहा हो तो, उस केंद्र शासित राज्य के हिस्से के रूप में UTGST चुकाना पड़ता है। इसी को UGST भी कहते हैं।

4.IGST: इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | Integrated Goods and Service Tax
अगर कोई सौदा (लेन-देन), दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच हो रहा हो तो, केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों का हिस्सा, एकसाथ IGST के रूप में चुकाना पड़ता है। इसे अकेले केंद्र सरकार के पास जमा किया जाता है। बाद में केंद्र सरकार की ओर से, राज्य सरकार के हिस्से का टैक्स भेज दिया जाता है। IGST में हिस्सा उस राज्य को मिलता है, जिसे कि सप्लाई भेजी जाती है।

जीएसटी पंजीकरण करने के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं:

1.फोटो
2.करदाता का संविधान
3.व्यापार स्थान के सबूत
4.बैंक खाता विवरण
5.प्राधिकरण फार्म




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